बूंद …. बहुत तेज़ी से अपनी आँखों के द्रश्य शेत्र के पार हो जाती है।
ऐसी तेज़ होते हुए भी वो इनती सौम्य होती है की वो कब नजरो में आती है, कब निकल जाती है..बिना चौकये।
उस छोटी सी बूंद की द्रड, कांच सी ढली हुई आकृति, आर-पार दिखाती हुई सुबह के सूरज की पहली किरणों सी पवित्र… अपने में दुनिया समेटे हुए…
हरियाली के बीच किसी चट्टान से इस तरह टकराती है जैसे उसका जीवन पूर्णता प्राप्त कर गया हो।
टकराकर छोटी-छोटी बूंदों की लडियों में बिखरने की परिपूर्णता कुछ ऐसी होती है के मानो वो चट्टान उसी के लिए वहां बनाई गई हो।
इसे देखकर हम खुशियो से भर जाते है।
मुस्कुराती हुई आखो से वो ख़ुशी छलक के बाहर फ़ैल जाती है। पता ही नहीं चलता, यह पल कब बीत गया।
स्वछन्द बूँद का जीवन छोटा नहीं होता बल्की खुशियों से भरा हुआ होता है। जीवन तो सिर्फ दुखो से लम्बा होता है।
Translation for who can read:
A droplet, with its speed and gentleness, transcends the field of vision. Despite its speed, it’s so serene that it appears and disappears from sight without notice. This tiny droplet, with its firm, glass-like shape, is as pure as the first rays of the morning sun, encapsulating the world within itself. It collides with a rock amidst the greenery as if it has achieved the completeness of life.
The perfection of scattering into tiny droplets after collision is such that it seems the rock was made just for it. Watching this fills us with joy, and this happiness spills out from our smiling eyes. We don’t even realize when this moment passes.
The life of a free droplet is not short but filled with happiness. Life is only longer with sorrows.